कारगिल विजय दिवस विशेष: आगरा के वीर लेफ्टिनेंट कर्नल राजबीर सिंह की अमर गाथा

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(लेख: कर्नल जी.एम. ख़ान द्वारा लेफ्टिनेंट कर्नल राजबीर सिंह के विशेष साक्षात्कार पर आधारित)

“हर गोले के साथ मेरा लहू बरस रहा था, पर मेरा एकमात्र लक्ष्य था—भारत माता की रक्षा!”

यह उद्घोष है आगरा के अकोला, वर्तमान में सिकंदरा की रंगोली कॉलोनी निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल राजबीर सिंह (सेवानिवृत्त) का, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी वीरता और बलिदान से राष्ट्र का मस्तक ऊँचा किया। कारगिल विजय के 26वें वर्ष पर उनकी यह गाथा हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

कारगिल मोर्चे पर आगरा के वीर

मई 1999—पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कारगिल और द्रास सेक्टर की ऊँची चोटियों पर कब्ज़े की खबर आते ही श्रीनगर में काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन में तैनात कर्नल राजबीर की रेजिमेंट को तुरंत द्रास रवाना किया गया।
15 मई को पहुँचते ही उन्होंने बोफोर्स तोपों की तैनाती संभाली, जिसने आगे के युद्ध में निर्णायक मोड़ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजबीर सिंह को ऑब्जर्वेशन पोस्ट ऑफिसर (ओपी ऑफिसर) की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई—अग्रिम चौकियों से दुश्मन की स्थिति का सटीक आकलन और तोपों की गोलाबारी को निर्देशित करना। यह जिम्मेदारी जोखिमों से भरी थी, क्योंकि वे हमेशा दुश्मन की सीधी नज़र में रहते। प्वाइंट 5165 और प्वाइंट 4170 जैसे युद्धक्षेत्रों में उनकी सटीक गोलाबारी ने दुश्मन के बंकरों और गोला-बारूद भंडारों को ध्वस्त कर दिया।
“हमारी फायरिंग इतनी सटीक थी कि दुश्मन बौखला उठा और जवाबी हमले शुरू कर दिए,” वे याद करते हैं।

“गोलीबारी मत रोको!”

23 जून 1999 की सुबह—एक बंकर से तोपों का संचालन करते समय दुश्मन का गोला पास में आकर फटा। गोले के टुकड़ों से गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद कर्नल राजबीर ने अपने जवानों को आदेश दिया:
“गोलीबारी मत रोको, लड़ाई जारी रखो!”
यह क्षण उनकी अटूट देशभक्ति और नेतृत्व का प्रतीक बन गया।

उनकी रेजिमेंट ने युद्ध में लगभग 23,000 बोफोर्स और अन्य गोले दागे, जिसने कारगिल युद्ध का रुख निर्णायक रूप से मोड़ दिया। इस अभूतपूर्व योगदान के लिए उनकी रेजिमेंट को सेनाध्यक्ष प्रशंसा पत्र और सम्मानित ‘ऑनर टाइटल कारगिल’ से नवाज़ा गया। कई जवान और अधिकारी वीरता पदकों से अलंकृत हुए।

देशसेवा की विरासत

कर्नल राजबीर को गर्व है कि उनकी देशसेवा की परंपरा आज भी जारी है। उनके पुत्र और दामाद भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में राष्ट्र की रक्षा कर रहे हैं।
“यह केवल परिवार नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति समर्पण की परंपरा है,” वे गर्व से कहते हैं।

युवा पीढ़ी के नाम संदेश

“कारगिल युद्ध हमें सिखाता है कि दुश्मन चाहे कितनी भी ऊँचाई पर क्यों न बैठा हो, भारतीय सैनिक का हौसला उससे कहीं ऊँचा है। हमारी वीरता और बलिदान की गाथा हर भारतीय के दिल में जीवित रहनी चाहिए।
युवा पीढ़ी अगर एकता और देशभक्ति के साथ आगे आएगी, तो यही भारत की सच्ची शक्ति होगी।”

लेफ्टिनेंट कर्नल राजबीर सिंह की यह गाथा आगरा का गौरव है—एक ऐसा स्मरण जो हमें याद दिलाता है कि भारतीय सैनिकों का बलिदान और देशप्रेम ही हमारे राष्ट्र की असली ताकत है।

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