अग्निशमन विभाग में ‘ठेकेदार सिपाही’ और लीडिंग फायरमैन का जलवा बरकरार!

आगरा के अग्निशमन विभाग में एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सिविल पुलिस में एएसआई के समकक्ष माने जाने वाले पद पर तैनात यादव का जलवा बरकरार है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, यादव की पकड़ न केवल विभागीय ढांचे में मजबूत है, बल्कि लखनऊ के सत्ताधारी खेमे से भी उन्हें संरक्षण प्राप्त है।
पूर्ववर्ती सरकारों से ही चला आ रहा यह ‘सिस्टम’ आज भी उतनी ही मजबूती से कायम है। बताया जाता है कि आगरा जनपद के अधिकांश मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों से प्रतिमाह ‘फिक्स वसूली’ होती है। स्थिति इतनी प्रभावशाली है कि विभाग के इंचार्ज तक को उनकी मर्जी के खिलाफ हटवाया जा सकता है।
सूत्रों का दावा है कि झांसी अग्निकांड के बाद पूरे सिस्टम में हलचल मच गई थी। इसी दौरान, आगरा के लगभग सभी बड़े अस्पतालों से एक-एक लाख रुपये की कथित वसूली की गई। जब विभागीय इंचार्ज ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेजी, तो ठेकेदार सिपाही के करीबी माने जाने वाले शहर के एक प्रतिष्ठित जनप्रतिनिधि ने हस्तक्षेप करते हुए वह रिपोर्ट वापस मंगवा ली और इंचार्ज को फटकार तक लगाई।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विभागीय उच्चाधिकारियों और शासन इस पूरे प्रकरण पर क्या रुख अपनाते हैं, या फिर यह मामला भी दबा दिया जाएगा?