C.O.D. मे फर्जी भर्ती का खेल – सपनों को बेचने वाला गिरोह बेनकाब
STF ने सॉल्वर गैंग का पर्दाफाश किया, पांच आरोपी गिरफ्तार
सेना की वर्दी पहनने का सपना देखने वाले युवाओं को यह पता भी न था कि उनकी उम्मीदें किसी सुनियोजित धोखाधड़ी के जाल में उलझ जाएँगी। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो बेरोजगार युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी कर रहा था। कार्रवाई में गिरोह के पाँच सदस्यों को धर दबोचा गया।

आगरा। सीओडी (Central Ordnance Depot) की भर्ती परीक्षा में धांधली करने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है। पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके पास से प्रवेश पत्र, मार्कशीट, आधार कार्ड, नकली मोहरें और कई अन्य दस्तावेज़ बरामद किए हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम हैं – धर्मवीर उर्फ धर्मराज गुर्जर, देवेंद्र सिंह, अनुप, हरेश और पारस।
कैसे चलता था गैंग का धंधा
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह गैंग ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देकर फंसाता था। परीक्षा में सॉल्वर बैठाकर उम्मीदवारों को पास कराया जाता था। जिनकी नौकरी नहीं लग पाती थी, उनके मूल दस्तावेज़ बंधक बनाकर रकम हड़प ली जाती थी।
- अनुप, हरेश और पारस का काम युवकों को भर्ती कराने के नाम पर लाना था।
- प्रेमचंद्र सॉल्वर बैठाने का जिम्मा संभालता था।
- देवेंद्र ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर असम राइफल्स में भर्ती भी पा ली थी, लेकिन जांच में मामला खुल गया और वह भाग गया।
क्या मिला आरोपियों से?
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बरामद किए हैं। इनमें शामिल हैं:
- 06 मूल आधार कार्ड
- 04 मूल पैन कार्ड
- 04 फोटोयुक्त एडमिट कार्ड
- 05 मूल हाई स्कूल प्रमाण पत्र
- 01 मूल इंटरमीडिएट प्रमाण पत्र
- 06 जाति प्रमाण पत्र
- 04 निवास प्रमाण पत्र
- 01 एडमिट कार्ड by SSB
- आईटीआई प्रमाण पत्र
- नकली मोहरें (COD आगरा की)
- 06 मोबाइल फोन और नकद 11,300 रुपये
कहाँ से हुई गिरफ्तारी?
गिरफ्तारी थाना न्यू आगरा क्षेत्र के अबुल उलाह दरगाह के पास एक मकान से हुई। छापेमारी में पुलिस टीम ने सभी पांच आरोपियों को मौके से दबोच लिया।
पुलिस ने दर्ज किए मुकदमे
गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ थाना न्यू आगरा में केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। आरोपियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और संगठित अपराध की धाराएं लगाई गई हैं।
कैसे टूटे युवाओं के सपने
यह गिरोह बेरोजगार युवाओं से कहता – “हमारे पास सेना और भर्ती बोर्ड से सीधा संपर्क है, बस थोड़े रुपये खर्च करो और नौकरी पक्की समझो।”
- भोले-भाले युवक अपने माता-पिता की जमा पूंजी, ज़मीन तक गिरवी रखकर इनके हाथों सौंप देते।
- बदले में उन्हें नकली कॉल लेटर, फर्जी आईडी कार्ड और जाली मार्कशीट थमा दी जाती।
- कई बार तो युवाओं को नकली ट्रेनिंग कैंप जैसा माहौल दिखाकर यह विश्वास दिलाया जाता कि वे अब सेना में शामिल हो चुके हैं।
लेकिन हकीकत कुछ और ही थी – नौकरी कभी मिलती ही नहीं और रकम कभी लौटाई नहीं जाती।

गिरोह की गहराई तक जाएगी जांच
एसटीएफ का मानना है कि यह गिरोह न सिर्फ आगरा बल्कि आसपास के ज़िलों में भी सक्रिय था। अब पुलिस इसकी जड़ों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े बाकी लोग भी पकड़ में आएं।