आगरा में साइबर ठगी का इंटरनेशनल गैंग पकड़ा, ईमेल के बहाने कंपनियों से करोड़ों की ठगी

चीन और कोलकाता से ऑपरेट हो रहा था नेटवर्क, हवाला के जरिए विदेश भेजे जाते थे पैसे
कैसे करते थे साइबर ठगी?
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि गैंग के सदस्य कंपनियों को टार्गेट करते थे। ये लोग खुद को आईटी सपोर्ट या मेल सिक्योरिटी टीम बताकर ईमेल चेक करने की बात करते। जैसे ही पीड़ित कंपनी सिस्टम एक्सेस देती, आरोपी रिमोट सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर लेते। इसके बाद बैंकिंग डिटेल्स और पासवर्ड चोरी करके खातों से पैसे उड़ा लिए जाते।
चीन में बैठे एजेंट्स को जाता था बड़ा हिस्सा
गैंग का सरगना अमित कुमार ढांडा (बीटेक, कंप्यूटर साइंस) बताया गया है। आरोपियों ने ठगे गए पैसे का 65 प्रतिशत हिस्सा चीन में बैठे एजेंट्स को भेजा और बाकी रकम अपने पास रखी। ठगी का पैसा गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए कैश में बदला जाता था।
हवाला के जरिए विदेश पहुंचता था पैसा
पुलिस के मुताबिक ठगों के पास सीधे तौर पर विदेशी बैंक अकाउंट तक पहुंच नहीं थी। इसलिए कोलकाता से जुड़े हवाला ऑपरेटरों के जरिए पैसे विदेश भेजे जाते थे। शुरुआती जांच में करोड़ों रुपये के लेन-देन का पता चला है।
आरोपी की कहानी: नौकरी छोड़ी और बना साइबर अपराधी
एसटीएफ ने बताया कि मास्टरमाइंड अमित कुमार ढांडा ने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया था। उसे पहली नौकरी में 30 हजार रुपये महीने मिलते थे। खर्चा नहीं चलता था, इसलिए नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह कॉल सेंटर में काम करने लगा, जहां उसकी मुलाकात साइबर ठगों से हुई। यहीं से उसने ऑनलाइन फ्रॉड करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे इंटरनेशनल गैंग बना लिया।
STF ने पकड़े चार आरोपी
एसटीएफ ने मास्टरमाइंड अमित कुमार ढांडा समेत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक आरोपी पहले भी साइबर अपराध में जेल जा चुका है। टीम ने कई लैपटॉप, मोबाइल और डाटा रिकवर किया है। पुलिस अब गैंग से जुड़े अन्य सदस्यों और हवाला नेटवर्क की जांच कर रही है।
पुलिस ने जारी की चेतावनी
पुलिस अधिकारियों ने कंपनियों और आम लोगों को अलर्ट करते हुए कहा है कि किसी भी अनजान कॉल या ईमेल के जरिए कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस न दें। ज्यादातर साइबर ठगी के मामले इसी तरीके से हो रहे हैं।