कानून के साथ निभाई इंसानियत की परम्परा : डौकी पुलिस ने जोड़े बिखरे रिश्ते

आगरा।अक्सर पुलिस की छवि लोगों के मन में सख्ती, डांट-फटकार और हथकड़ी के साथ ही जुड़ जाती है। लेकिन थाना डौकी पुलिस ने यह साबित कर दिया कि वर्दी के पीछे एक संवेदनशील दिल भी होता है, जो केवल अपराधियों को पकड़ने के लिए ही नहीं, बल्कि टूटते रिश्तों को जोड़ने के लिए भी धड़कता है।
गांव रावर के सेवानिवृत्त शिक्षक राजपति सिंह पिछले दस वर्षों से अपने ही बेटों जगवीर, रजनीकांत और देवेंद्र से संपत्ति विवाद में उलझे थे। अदालतों के चक्कर, मुकदमों की तारीखें और कटुता ने परिवार को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया था। भाई-भाई दुश्मन बन चुके थे और पिता-पुत्र का रिश्ता भी टूटने की कगार पर था।
थककर पिता ने थाना डौकी का दरवाज़ा खटखटाया और अपनी पीड़ा थानाध्यक्ष को सुनाई। पुलिस ने केवल कानूनी पहलू पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि परिवार को फिर से जोड़ने का बीड़ा उठाया। बुधवार की शाम पिता और तीनों बेटों को थाने बुलाकर एक लंबी पंचायत शुरू हुई।
पहले तो आरोप-प्रत्यारोप और शिकायतों की बौछार हुई, मगर पुलिस ने सभी की बातें धैर्यपूर्वक सुनीं। जब वर्षों का गुबार निकल गया, तो थानाध्यक्ष ने परिवार के सामने वह सच्चाई रखी कि इस लड़ाई में उन्होंने केवल पैसा, समय और समाज की प्रतिष्ठा गंवाई है। सवाल किया“क्या रिश्तों से बढ़कर कुछ हो सकता है?”

यह बातें सीधे दिल को छू गईं। बेटों ने पिता के चरण छूकर माफी मांगी और पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं परिवार ने आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा कर लिया और मुकदमों को खत्म करने का निर्णय भी लिया।
करीब रात तीन बजे तक चली यह पंचायत सिर्फ एक समझौता नहीं थी, बल्कि यह इस बात का प्रमाण बनी कि पुलिस चाहे तो न केवल अपराध रोक सकती है बल्कि इंसानियत और रिश्तों की डोर भी मजबूत कर सकती है।
सुबह जब यह खबर गांव में फैली, तो लोग डौकी पुलिस की इस संवेदनशील पहल को सलाम करने लगे।