आगरा में नकली दवाओं का फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद पूरे यूपी में जांच की आंच
पुडुचेरी और चेन्नई से सप्लाई हुई नकली दवाओं की खेप प्रकरण मे आगरा की पांच फर्मों में फर्जीवाड़ा, कई गिरफ्तार, 18 मंडलों को अलर्ट जारी
आगरा। ताजनगरी आगरा में सामने आया नकली दवाओं का कारोबार प्रदेश भर में सनसनी फैला रहा है। औषधि विभाग और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में जो खुलासा हुआ, उसने इस बात की पुष्टि कर दी है कि दवाओं का यह काला कारोबार सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें फैला चुका है। यही वजह है कि आगरा औषधि विभाग ने सभी अठारह मंडलों को सतर्क करते हुए तत्काल जांच के आदेश जारी किए हैं।

बीते 22 से 31 अगस्त तक हुई छापेमारी में पांच बड़ी फर्मों का नाम सामने आया। इनमें एमए मेडिको, बंसल मेडिकल एजेंसी, ताज मेडिको, एमएससीवी मेडि पाइंट और श्री राधे मेडिकल एजेंसी शामिल हैं। इन संस्थानों से जब्त किए गए दस्तावेज़ और बिल बताते हैं कि नकली दवाओं की सप्लाई आगरा के अलावा बरेली, लखनऊ और कई अन्य जिलों तक होती रही है।
आगरा से नकली दवा का जाल पूरे यूपी में
सबकुछ बेनकाब – कौन पकड़ा गया, कहाँ भेजी गई, कितनी फर्में शामिल
कहाँ से आया माल?
पुडुचेरी की मीनाक्षी फार्मा और चेन्नई की अमन फार्मा से तैयार होकर यूपी भेजा गया।किन फर्मों के नाम आए सामने?
आगरा की पाँच फर्में – एमए मेडिको, बंसल मेडिकल एजेंसी, ताज मेडिको, एमएससीवी मेडि पाइंट और श्री राधे मेडिकल एजेंसी।कौन-कौन गए जेल?
एमए मेडिको के संचालक हिमांशु अग्रवाल,
बंसल मेडिकल एजेंसी के मालिक संजय बंसल,
उनके पुत्र और भाई।कहाँ-कहाँ हुई सप्लाई?
आगरा से लेकर बरेली, लखनऊ और कई अन्य जिलों तक।क्या कर रहा औषधि विभाग?
प्रदेश के सभी 18 मंडलों को अलर्ट जारी, हर जिले से रिपोर्ट मांगी गई।

कार्रवाई के दौरान कई गिरफ्तारियां भी की गईं। एमए मेडिको के संचालक हिमांशु अग्रवाल को एक करोड़ रुपये की रिश्वत देने के मामले में जेल भेजा गया, जबकि बंसल मेडिकल एजेंसी के मालिक संजय बंसल, उनके पुत्र और भाई को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया। इन गिरफ्तारीयों के बाद साफ हो गया है कि नकली दवाओं का कारोबार सिर्फ दवाओं की डुप्लीकेसी तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें धनबल और रसूख का भी खेल शामिल है।

जांच से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आगरा में पकड़ी गई नकली दवाएं दरअसल दक्षिण भारत से लाई जाती थीं। पुडुचेरी की मीनाक्षी फार्मा और चेन्नई की अमन फार्मा से यह दवाएं तैयार होकर उत्तर प्रदेश भेजी जाती थीं। दिलचस्प बात यह है कि इन पर लखनऊ के कारोबारियों की फर्मों का नाम चढ़ाया जाता था, ताकि कोई शक न कर सके। इसके बाद माल को सीधे प्रदेश के अलग-अलग शहरों में उतार दिया जाता था। चेन्नई में छापे तो पड़े, लेकिन इस गिरोह के असली सौदागर अब तक पकड़ से बाहर हैं।

औषधि विभाग ने अब सभी मंडलों से रिपोर्ट मांगी है। आगरा मंडल के सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय का कहना है कि संदिग्ध फर्मों के नाम हर मंडल को भेजे जा चुके हैं। उनसे यह अपेक्षा की गई है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बाजार में मौजूद इन दवाओं की जांच करें और पूरी जानकारी लखनऊ मुख्यालय को उपलब्ध कराएं।

नकली दवाओं का यह खुलासा स्वास्थ्य सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। जिस प्रदेश में करोड़ों की आबादी रोजमर्रा की दवाओं पर निर्भर है, वहां नकली दवाओं का नेटवर्क पकड़ में आना केवल व्यापारिक अपराध नहीं, बल्कि जनता के जीवन से खिलवाड़ भी है। अब देखना यह होगा कि सरकार और जांच एजेंसियां इस पूरे खेल की जड़ों तक कब तक पहुंच पाती हैं।