पुडुचेरी से बरेली तक फैला नकली दवाओं का बड़ा रैकेट, औषधि विभाग ने की जांच तेज
आगरा, संवाददाता। उत्तर प्रदेश में नकली दवाओं का कारोबार लगातार गहराता जा रहा है। औषधि विभाग की हालिया जांच में सामने आया है कि आगरा की हे माँ-बंसल मेडिकल एजेंसी समेत कई प्रमुख थोक विक्रेताओं ने बरेली जिले के 12 मेडिकल स्टोर्स तक नकली दवाओं की बड़ी खेप सप्लाई की। विभाग ने सभी मेडिकल स्टोर्स को नोटिस जारी कर पिछले दो वर्षों का खरीद-बिक्री ब्यौरा तलब किया है।
दो साल से जारी सप्लाई
सूत्रों के अनुसार, यह पूरा नेटवर्क पिछले दो वर्षों से सक्रिय था। विभाग को आशंका है कि इस दौरान लाखों की मात्रा में नकली दवाएं मरीजों तक पहुंचीं। सहायक आयुक्त औषधि ने बरेली के जिन स्टोर्स पर कार्रवाई की है, वहां से नकली दवाओं के नमूने भी लिए गए हैं।
पुडुचेरी से जुड़ा धंधा
आगरा मे हुयी छापेमारी के बाद मे जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि नकली दवाओं का जाल सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। औषधि विभाग की टीम को जानकारी मिली है कि इन दवाओं की सप्लाई पुडुचेरी की तीन संदिग्ध फर्मों से की जा रही थी। यही वजह है कि आगरा से औषधि विभाग की एक विशेष टीम जल्द ही पुडुचेरी जाएगी।
पुडुचेरी में हाल ही में छापेमारी में एक बड़े गोदाम से नकली दवाएं, कच्चा माल, रेपर और पैकिंग से जुड़ा सामान बरामद किया गया। यही नहीं, वहां मिले बिल और दस्तावेज़ इस पूरे नेटवर्क को उजागर करते हैं।
करोड़ों की नकली दवाओं का कारोबार
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि बंसल मेडिकल एजेंसी, एमएसवी मेडि प्वाइंट, ताज मेडिकोज और हे माँ मेडिकोज ने पुडुचेरी स्थित मीनाक्षी फार्म से नकली दवाएं मंगाई थीं। इन कंपनियों के जरिए अब तक की जांच में करीब 71 करोड़ रुपये तक की नकली दवाओं का कारोबार सामने आ चुका है।
इसके अलावा पुडुचेरी के गोदाम से बरामद कच्चे माल और पैकिंग मटेरियल से साफ है कि यह दवाएं बंद हो चुकी कंपनियों के नाम पर तैयार की जा रही थीं।
प्रदेशभर में जांच
औषधि विभाग ने इस मामले के बाद प्रदेश की सभी जिलों को सतर्क कर दिया है। लखनऊ, बरेली, अलीगढ़ और मुजफ्फरनगर समेत कई जिलों में औषधि निरीक्षकों ने छापेमारी शुरू कर दी है। अब तक जांचे गए 22 नमूनों में से कई दवाएं नकली पाई गई हैं, जिनमें एलर्जी और डायबिटीज की दवाएं शामिल हैं।
मुजफ्फरनगर में आयुष मेडिकल के मालिक को 3.50 करोड़ रुपये की नकली दवाओं की बिक्री करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। लखनऊ के बिक्रमी कुमार (न्यू बाबा फार्म) और सुभाष कुमार (पर्वती ट्रेडर्स) के नाम भी जांच में सामने आए हैं, हालांकि ये अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं।
जनता की सेहत से खिलवाड़
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नकली दवाओं का इस्तेमाल मरीजों की जान के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। खासतौर पर शुगर और एलर्जी की नकली दवाएं मरीजों के इलाज को प्रभावित करती हैं और गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करती हैं।
मिलीभगत का शक
सूत्रों के अनुसार यह पूरा रैकेट स्थानीय दवा माफियाओं और बाहर की कंपनियों की मिलीभगत से चल रहा था। बिना मजबूत नेटवर्क के इतनी बड़ी मात्रा में नकली दवाओं का सप्लाई होना संभव नहीं है। विभाग ने अब सभी जिलों को अलर्ट जारी करते हुए संदिग्ध मेडिकल स्टोर्स से विस्तृत जानकारी मांगी है।
आगे की कार्रवाई
औषधि विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल विभाग का फोकस नकली दवाओं के स्रोत का पता लगाने और नेटवर्क को तोड़ने पर है।