फर्जी QR कोड से नकली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़: उत्तराखंड STF की बड़ी कार्रवाई | आगरा कनेक्शन भी उजागर
देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ (STF Uttarakhand) ने नकली दवा कारोबार (Fake Medicine Racket) का बड़ा पर्दाफाश किया है। जांच के दौरान चार फार्मा कंपनियों के मालिकों और प्लांट हेड्स को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही अब तक कुल 10 आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं, जिनमें मास्टरमाइंड नवीन बंसल भी शामिल है।
आगरा से जुड़े दवा माफिया के तार
जांच में खुलासा हुआ है कि यह गिरोह सिर्फ देहरादून या भिवाड़ी तक सीमित नहीं था। आगरा में भी इसका नेटवर्क सक्रिय था। STF सूत्रों के मुताबिक, आगरा से जुड़े कुछ स्टॉकिस्ट और सप्लाई चैन इस गिरोह से लिंक पाए गए हैं।पिछले दिनों आगरा में भी नकली दवाइयों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया था और करोड़ों रुपये की दवाइयाँ ज़ब्त हुई थीं। अब माना जा रहा है कि दोनों मामलों के तार आपस में जुड़े हो सकते हैं।
1 जून को देहरादून के सेलाकुई थाना क्षेत्र में पुलिस ने नकली दवा कारोबार का मामला दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया था कि सन फार्मा (Sun Pharma), ग्लेनमार्क (Glenmark) और डॉ. रेड्डीज (Dr. Reddy’s) जैसी बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली दवाइयाँ बनाकर बाजार में बेची जा रही हैं।इस पर पुलिस मुख्यालय ने मामले की गंभीरता देखते हुए जांच विशेष कार्यबल (STF) को सौंप दी।
ताजा गिरफ्तारियां – चार फार्मा कंपनियों के मालिक और प्लांट हेड
STF ने जिन चार आरोपियों को पकड़ा है, उनके नाम इस प्रकार हैं:
- प्रदीप गौड़, मालिक व प्लांट हेड – जेन्टिक फार्मास्यूटिकल प्रा. लि., देहरादून
- शैलेंद्र सिंह, मालिक व प्लांट हेड – बीएलबीके फार्मास्यूटिकल प्रा. लि., मेरठ
- शिशिर सिंह, प्लांट हेड – ऑक्सी फार्मा प्रा. लि., देहरादून
- तेजिंदर कौर, मालिक – किरोन/कैरन लाइफ साइंस प्रा. लि., देहरादून
पहले से गिरफ्तार आरोपी
इस केस में STF पहले ही 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है: नवीन बंसल (किंगपिन),संतोष कुमार,आदित्य कालादेवी दयाल गुप्ता (दिल्ली निवासी, 1.4 करोड़ नकली टैबलेट और 2 लाख कैप्सूल सप्लाई का आरोप),पंकज शर्मा (ज़िरकपुर, पंजाब) विजय कुमार पांडेय
नकली दवा कारोबार का नेटवर्क
STF जांच में खुलासा हुआ कि ये कंपनियां बिना लाइसेंस नकली टैबलेट्स बनाती थीं। दवाइयों के बिल पर MRP “00.00” अंकित कर टैक्स चोरी की जाती थी।तैयार टैबलेट्स को बीकेम बायोटेक (Bchem Biotech), भिवाड़ी को सप्लाई किया जाता था, जिसके पास ड्रग लाइसेंस भी नहीं था। इसके बाद इन्हें बड़ी कंपनियों के नाम से ब्रांडिंग कर बाजार में बेचा जाता था।मुख्य रूप से नकली शेल्कल (Shelcal) और अन्य जीवनरक्षक दवाइयों का उत्पादन और सप्लाई की जा रही थी।
एसएसपी, एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने कहा:
“जांच में सामने आया है कि आरोपी सुनियोजित तरीके से नकली टैबलेट्स बनाकर बड़ी कंपनियों की ब्रांडिंग कर रहे थे। इनका नेटवर्क देहरादून,आगरा मेरठ, दिल्ली, भिवाड़ी और पंजाब तक फैला हुआ है। अब तक 10 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और आगे भी कई पर कार्रवाई की जाएगी।”