कॉलेज विवाद या राम भरोसे प्रशासन: कौन किस पर FIR लगाए ये भी तय नहीं

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आगरा: शहर के नामचीन कॉलेज में जो कुछ चल रहा है, वह देखकर लगता है कि सब राम भरोसे या सत्ता भरोसे ही चल रहा है। कभी प्रचार्यों की अदला-बदली, कभी फर्जी प्रपत्रों पर केस—जैसे किसी नाटक का रीहर्सल चल रहा हो। एक साहब को क्लीन चिट मिलती है, दूसरे के खिलाफ भारी धाराओं में FIR दर्ज हो जाती है।

मठाधीश अपने कारिंदों के लिए दौड़ रहे हैं—कभी स्पेशल ऑफिसर के पास, कभी प्रबंधन के चक्कर, कभी खाकी के पास। लेकिन समाधान? वह तो अभी भी किसी गायब पेंगुइन की तरह खोज में है।

लखनऊ से मिली खबर है कि हथियार लाइसेंस यूँ ही गुम नहीं हुआ। साहब के पास हर कागज़ की फोटोकॉपी है, लेकिन ओरिजिनल नहीं। पुराने साइकिल वाले साहब भी अब भूलने लगे हैं कि पिस्टल किससे खरीदी थी और बैग गिरते समय वाउचर किसने संभाला था।

और अब नया ड्रामा—मेट्रो निर्माण के चलते बेशकीमती जमीन सामने आ गई। झाड़ियां हटाकर पेड़ काट दिए गए, लेकिन पर्यावरणविद के नोटिस के बाद मामला फिर हेडलाइन में। खनन के लिए डंपर की संख्या 100 से अधिक, लेकिन जिम्मेदार अभी भी “देखते रहो” मोड में हैं।

विशेषज्ञों का कहना है: “यदि प्रशासन ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह कॉलेज का विवाद नहीं रहेगा, बल्कि  जमीन और पर्यावरण क़ो लेकर बड़े सवाल खड़ा करता रहेगा।”

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