आगरा में धर्मांतरण गिरोह का पर्दाफाश, सोशल मीडिया से फंसाए जाते थे टारगेट

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पूरे मामले की शुरुआत आगरा के सदर क्षेत्र से लापता हुई दो सगी बहनों की गुमशुदगी से हुई थी, जिनके पिता ने 24 मार्च को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। शुरुआती जांच एक सामान्य गुमशुदगी की तरह शुरू हुई, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, मामला अपहरण और जबरन धर्मांतरण की बड़ी साजिश में बदलता चला गया।


सायमा का झांसा: प्यार के नाम पर फंसाया, धर्मांतरण और निकाह की तैयारी

पुलिस जांच में सामने आया कि सायमा उर्फ खुशबू, जम्मू-कश्मीर के उधमपुर की निवासी, इस गिरोह की प्रमुख महिला एजेंट थी। उसने सोशल मीडिया के ज़रिए इन दोनों बहनों से संपर्क साधा और धीरे-धीरे उन्हें ‘प्यार और जीवनसाथी’ का सपना दिखाकर अपने जाल में फंसा लिया।

सायमा ने न केवल उनका भरोसा जीता, बल्कि कथित रूप से ‘ब्रेनवॉश’ करते हुए उन्हें इस्लाम अपनाने और निकाह के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। पुलिस के अनुसार, यह रणनीति पूरी तरह से सुनियोजित थी, और इससे पहले भी इस महिला की भूमिका ऐसे मामलों में देखी गई है।


बंगाल से मिली सफलता: दोनों बहनों को बचाया गया, दो आरोपी भी दबोचे गए

लड़कियों को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में ट्रेस किया गया, जहां से पुलिस ने उन्हें सकुशल रेस्क्यू किया। वहीं से दो आरोपियों — शेखर राय उर्फ हसन अली (बारासात कोर्ट में कर्मचारी) और रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम — को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस ने दोनों आरोपियों को तीन दिन की ट्रांजिट रिमांड पर आगरा लाने की प्रक्रिया पूरी की है। इसके अलावा, गिरोह से जुड़े तीन और आरोपियों को उत्तराखंड के ऋषिकेश, उत्तर प्रदेश के बरेली, और राजस्थान से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि ये सभी एक दूसरे से जुड़े हैं और एक लंबे समय से इस नेटवर्क का हिस्सा थे।


ऐसे काम करता था गिरोह: सोशल मीडिया से संपर्क, फिर ब्रेनवॉश और दबाव

पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह खासकर पढ़े-लिखे, लेकिन भावनात्मक रूप से संवेदनशील युवाओं को निशाना बनाता था। सोशल मीडिया के ज़रिए पहले संपर्क किया जाता, फिर दोस्ती, प्यार और शादी के बहाने ‘लव जिहाद’ जैसी रणनीति के तहत उन्हें धर्म परिवर्तन की ओर धकेला जाता था।

सायमा जैसी महिलाएं इस गिरोह में ‘बेटी जैसा भरोसा’ जीतने की भूमिका निभाती थीं। एक बार धर्मांतरण हो जाने के बाद, उन्हें या तो गिरोह में शामिल कर ‘इस्लामिक प्रचार’ करने के लिए भेजा जाता था, या फिर विरोध करने वालों को धमकाकर देह व्यापार जैसे अपराधों में झोंक दिया जाता।


2015 से सक्रिय गिरोह, विदेशी फंडिंग की आशंका

पुलिस की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि यह गिरोह वर्ष 2015 से सक्रिय है और इसके तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं। कुछ संदिग्ध लेन-देन और डिजिटल ट्रांजैक्शन के आधार पर विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई जा रही है।

हालांकि, आगरा पुलिस का यह भी कहना है कि इस गिरोह का अब तक बलरामपुर स्थित कुख्यात ‘चंगुर बाबा नेटवर्क’ से कोई सीधा संबंध नहीं मिला है, लेकिन दोनों नेटवर्क की कार्यप्रणाली में समानताएं ज़रूर दिख रही हैं।


पुलिस कमिश्नर बोले: “गिरोह को पूरी तरह ध्वस्त करेंगे”

आगरा पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने कहा,“यह कोई सामान्य केस नहीं, बल्कि एक सुनियोजित नेटवर्क है जो हमारे समाज की संरचना पर हमला कर रहा है। हमने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है और कई राज्यों में हमारी टीमें छापेमारी कर रही हैं। हमारा लक्ष्य है इस पूरे गिरोह को जड़ से खत्म करना।

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