फर्जी शस्त्र लाइसेंस और विदेशी हथियार कांड में बड़ा एक्शन: आरोपियों को खुद दर्ज कराने होंगे बयान, अधिवक्ताओं से भेजे बयान नहीं मानेगी एसटीएफ

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आगरा | फर्जी शस्त्र लाइसेंस और विदेशी हथियारों की खरीद-फरोख्त में गहराते विवाद के बीच एसटीएफ ने अब सख्त रुख अपना लिया है। जांच एजेंसी ने साफ कर दिया है कि अब किसी भी आरोपी का बयान अधिवक्ता के माध्यम से मान्य नहीं होगा आरोपियों को खुद एसटीएफ दफ्तर में पेश होकर अपना पक्ष रखना होगा।

शोभित चतुर्वेदी का बयान खारिज, अधिवक्ता के जरिए पहुंचाए थे दस्तावेज

प्रकरण में नामजद आरोपित शोभित चतुर्वेदी ने अपने वकील के ज़रिए बयान भेजे, जिसमें खुद को पीड़ित बताया। लेकिन एसटीएफ के विवेचक इंस्पेक्टर हुकुम सिंह ने इन बयानों को तत्काल खारिज करते हुए दो टूक कहा — “बयान वही मान्य होगा जो आरोपित स्वयं उपस्थित होकर देगा।”


24 मई को हुआ था मुकदमा दर्ज — विदेशी पिस्टलों के स्रोत पर जांच का फोकस

मामले की शुरुआत 24 मई को हुई थी जब एसटीएफ के इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने नाई की मंडी थाने में धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया।
आरोप गंभीर हैं — कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किए और उनके पास मौजूद विदेशी हथियारों का कोई वैध स्रोत नहीं है। अब एसटीएफ यह पता लगाने में जुटी है कि पहली बार ये हथियार किसके पास आए, किससे खरीदे गए और रसीद कहां है।


रिटायर असलहा बाबू संजय कपूर पर फोकस — हाईकोर्ट से मिली है अंतरिम राहत

नामजद रिटायर्ड असलहा बाबू संजय कपूर को भले ही हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिल चुकी हो, लेकिन एसटीएफ की निगाहें उसी पर टिकी हैं।
जांच टीम का मानना है कि शस्त्र लाइसेंस की पूरी प्रोसेस में अंदर की गड़बड़ियों की जानकारी उसी के पास है।
अब कानून के दायरे में रहकर उससे विस्तार से पूछताछ की जाएगी। एसटीएफ को कोर्ट ने 90 दिनों में जांच पूरी करने का आदेश दिया है।

डीएम कार्यालय से मांगा रिकॉर्ड, आरोपितों को भेजे गए नोटिस

जांच प्रक्रिया को मजबूती देने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय को पत्राचार कर शस्त्र लाइसेंस संबंधी पूरी पत्रावली मांगी गई है, लेकिन अब तक रिकॉर्ड एसटीएफ को नहीं सौंपा गया है।
इस बीच सभी नामजद आरोपियों को नोटिस भेज दिए गए हैं, जिनमें स्पष्ट किया गया है कि उन्हें स्वयं उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने होंगे।


फर्जी लाइसेंस कांड या संगठित शस्त्र तस्करी?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह केवल दस्तावेजों में गड़बड़ी का मामला है या इसके पीछे एक संगठित अवैध हथियार सप्लाई सिंडिकेट काम कर रहा था?
सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ को जांच में कुछ बेहद चौंकाने वाले लिंक और संदिग्ध विदेशी हथियारों के ट्रेस भी मिले हैं, जिसकी पुष्टि अगले चरण में की जा सकती है।

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