नगर का सेटिंग बाज बाबू – भ्रष्टाचार का ठेकेदार!”
नगर का यह बाबू चतुर्थ श्रेणी से फर्जी नियुक्ति लेकर बाबू बना और फिर अपनी वसूली साम्राज्य की नींव रखी। स्कूल मान्यता, ट्रांसफर और यू-डायस में इसका ऐसा दबदबा कि बिना इसके ‘हरी झंडी’ के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती।
निजी स्कूलों से उगाही करना रोज़मर्रा का काम, और अधिकारियों को पैसे दिलवाकर बना लिया है खुद को “मुंहलगा“। जो कर्मचारी इसकी नहीं सुनते, उनकी शिकायतें ऊपर तक पहुंचाना इसकी खासियत है।
वायरल ऑडियो में अधिकारियों को गालियां बकता साफ़-साफ़ सुना जा सकता है, फिर भी सीना ठोककर कहता है—”मेरी सेटिंग ऊपर तक है, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता!”
महंगी चारपहिया गाड़ियों से घूमता है, कई मोबाइल नंबरों से नेटवर्क संभालता है और घर से ही चला रहा है अपना “समानांतर ऑफिस”।
शहर के लोग हंसते-हंसते पूछते हैं—”क्या यही है नया प्रशासनिक मॉडल? जहां वसूली, सेटिंग और धौंस ही तरक्की का सीढ़ी बन गई है?”
लोग कहते हैं—”जिस दिन इस बाबू की कुर्सी हिलेगी, उसी दिन शहर में भ्रष्टाचार का तर्पण होगा!”