समोसा बनाम संसद: रवि किशन की लड़ाई में तड़का है देशप्रेम का!
समोसा प्रेमियों के लिए रवि किशन भैया जिस जज़्बे से संसद में जंग लड़ रहे हैं, वो किसी फूड योद्धा से कम नहीं हैं।
भैया चाहते तो बेरोजगारी, महंगाई, पेट्रोल की कीमतें, गिरती अर्थव्यवस्था जैसे फालतू मुद्दों पर भी बोल सकते थे —
लेकिन उन्होंने दिल की सुनी, ज़मीर की मानी और समोसे को चुना।

कहते हैं “जहाँ चाह, वहाँ समोसा”
और रवि भैया की इस चाहत में तो देशहित तक लिपटा हुआ है।
अब कुछ नासमझ लोग टैरिफ, ट्रंप, टैक्स और तमाम त्रासदियों पर चर्चा कर रहे हैं —
जैसे इससे बड़ी कोई समस्या ही न हो।
पर सच्चाई ये है कि जब तक समोसे के साथ मुफ्त में चटनी नहीं मिलती,
तब तक लोकतंत्र अधूरा है।
रवि भैया की ये लड़ाई असल में हर उस भारतीय की लड़ाई है —
जो ठेले से समोसा लेकर, टिश्यू पेपर से उसका तेल सोखता है, फिर एक कोना खोजकर खाता है।
तो आइए, भैया की आवाज़ में आवाज़ मिलाएं —
“समोसा हमारा अधिकार है!”
बाकी मुद्दों की चिंता,चाय के साथ बाद में कर लेंगे…