नेता का भतीजा बोला “जानता नहीं कौन हूँ?” – ऑटो वाला बोला “₹5 दे पहले!”

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आगरा। जिस देश में संसद में जूते चलने के बाद भी कार्रवाई सोचकर होती है, वहाँ कलेक्ट्रेट के बाहर मारपीट हो जाए तो कौन सी आफत आ गई? शनिवार को डीसीपी कार्यालय के बाहर ₹5 के किराए को लेकर ऑटो चालक और एक ‘संभावित नेता के भतीजे’ के बीच ऐसा बवाल हुआ कि न्याय के मंदिर में एक अधिवक्ता को पंच बनकर ₹5 का सिक्का बीच में लाकर मामला सुलझाना पड़ा।

हुआ यूं कि सूरसदन से ऑटो में बैठकर चले साहब कलेक्ट्रेट पर उतरते वक्त ₹10 थमाकर महान भाव से चल दिए। लेकिन ऑटो वाला गौरव भी आज महंगाई से झुंझला चुका था। उसने तपाक से ₹15 की मांग कर दी। साहब को नेता जी का खून जोश मार गया — बोले, “जानते नहीं मैं किसका भतीजा हूँ?” गौरव ने भी ऑटो मोड़कर सीधे डीसीपी ऑफिस के बाहर लगा दिया जैसे कह रहा हो, “चल बेटा, यहीं निपटते हैं लोकतांत्रिक तरीके से!”

फिर क्या, दोनों में गाली-गोलियों से लेकर हाथापाई तक सब हुआ वो भी कानून के घर के बाहर! दर्शकों में अधिवक्ता, और कुछ बोर होते नागरिक जुट गए लाइव तमाशा देखने।

लेकिन सबसे ‘वीआईपी’ रोल निभाया एक वकील साहब ने उन्होंने गांधीवाद दिखाते हुए ₹5 का सिक्का बीच में बढ़ाया और कहा, “लो भई, देश बचाओ।”

पुलिसकर्मी भी मौके पर पहुँचे, मगर नियमों की किताब वहीं किसी कुर्सी पर धूल खा रही थी। न चालान हुआ, न केस सबको प्यार से डांटा और भगा दिया। आखिर एक लोकतंत्र में ₹5 के विवाद को इतनी गंभीरता से लेना भी तो अलोकतांत्रिक है!

अब मारपीट का वीडियो वायरल है, और जनता पूछ रही है — “क्या एमजी रोड पर प्रतिबंधित ऑटो के चलने पर कार्यवाही नहीं होगी?”

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