आगरा, जहां देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने की मुहिम चला रहे हैं, वहीं आगरा के नामी शिक्षा मंदिर आगरा कॉलेज में सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों को दरकिनार कर हरे-भरे पेड़ बिना अनुमति के काटे जाने का आरोप लगा हैं। नालबंद चौराहा और एम.जी. रोड क्षेत्र में हो रही इस कटाई ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकार की योजनाओं की गंभीरता पर भी चोट की है।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
ताजमहल और आसपास के ताज त्रपेज़ियम ज़ोन (TTZ) में वृक्षों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि
ताजमहल से 5 किलोमीटर के दायरे में बिना कोर्ट की अनुमति कोई पेड़ नहीं काटा जा सकता।
अवैध कटाई पर प्रति पेड़ ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि “बड़े पैमाने पर पेड़ काटना इंसान की हत्या से कम अपराध नहीं है।”
इन आदेशों के बावजूद आगरा कॉलेज परिसर और उसके आसपास पेड़ों की कटाई होना गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है।
अधिकारी गोलमोल जवाब देते नज़र आए
वन विभाग से जब इस मामले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो एसडीओ फॉरेस्ट अरविंद मिश्रा ने खुद को आगरा से बाहर बताकर बात करने से पल्ला झाड़ लिया। वहीं स्थानीय इंचार्ज टीकम सिंह ने दावा किया कि “सिर्फ झाड़ियां काटी गई हैं।” लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि जेसीबी मशीन वहां क्या कर रही थी, तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि “मामले की जांच की जा रही है।”
स्थानीय लोगों और शिकायतकर्ता के अनुसार, मौके पर जेसीबी की मौजूदगी यह साबित करती है कि केवल झाड़ियां नहीं बल्कि बड़े पेड़ भी हटाए जा रहे हैं। वन विभाग का यह रुख शिकायत की सच्चाई को और पुख्ता करता है।
शिकायत और कार्रवाई की मांग
पर्यावरण प्रेमी अपूर्व शर्मा ने वन विभाग को लिखित शिकायत भेजकर मांग की है कि
तत्काल पेड़ों की कटाई रोकी जाए और जिम्मेदार व्यक्तियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए।
उच्च स्तरीय जांच कर कॉलेज प्रशासन और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
कटे हुए पेड़ों की भरपाई के लिए पर्याप्त संख्या में वृक्षारोपण करवाया जाए और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी कॉलेज प्रशासन को दी जाए।
पर्यावरणीय खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि पेड़ों की इस तरह की कटाई से स्थानीय तापमान में वृद्धि, वायु प्रदूषण और पक्षियों के प्राकृतिक आवास के नष्ट होने का खतरा है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है बल्कि शहर के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी बड़ा खतरा है।
वन विभाग ने शिकायत प्राप्त होने की पुष्टि की है और कहा है कि मामले की जांच जारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मद्देनज़र दोषियों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
स्पष्ट है जब सरकार हरियाली बढ़ाने की पहल कर रही है, उसी समय आगरा कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अवैध पेड़ कटाई न्यायालय के आदेशों और पर्यावरणीय जिम्मेदारी दोनों की खुली अवहेलना है।