आगरा में शस्त्र लाइसेंस घोटाले की परतें खुलीं, STF जांच में फर्जीवाड़े की गहराई सामने आई
जिले में शस्त्र लाइसेंस घोटाले का दायरा लगातार बड़ा होता जा रहा है। एसटीएफ की जांच में रिकॉर्ड में हेरफेर, यूआईएन गड़बड़ी और थाना-स्तरीय लापरवाही जैसी कई खामियां उजागर हुई हैं।
आगरा। एसटीएफ (Special Task Force) की जांच में अब तक कई खामियां उजागर हुई हैं, जिससे आशंका गहराती जा रही है कि जिले में सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों शस्त्र लाइसेंस फर्जी हो सकते हैं।
जांच में मिली गड़बड़ियां
- लाइसेंस फाइलों में फटे पन्ने, ओवरराइटिंग और कटिंग।
- रिकॉर्ड की कमी और यूआईएन (यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर) में गंभीर गड़बड़ियां।
- कई लाइसेंसों का समुचित नवीनीकरण और नवीन रिपोर्ट उपलब्ध नहीं।
थाना-स्तर की लापरवाही: सत्यापन और नवीन रिपोर्ट की प्रक्रिया अधिकांश मामलों में कागजों तक सीमित रही।
जिले में 50 हज़ार से अधिक शस्त्र लाइसेंस
आगरा जिले में 50,000+ शस्त्र लाइसेंस दर्ज हैं, जिनमें रिवॉल्वर, पिस्टल, एसबीबीएल और डीबीबीएल शामिल हैं। पहले नियम था कि हर 3 साल में नवीनीकरण आवश्यक है, बाद में इसे 5 साल कर दिया गया। शुल्क और लगन रिपोर्ट की जटिल प्रक्रिया के कारण कई धारकों ने नवीनीकरण कराना बंद कर दिया, जिससे बड़ी संख्या में लाइसेंस संदिग्ध/फर्जी श्रेणी में पहुँच गए।
STF ने खोली पोल
- कई लाइसेंस धारकों के पते और रिकॉर्ड अधूरे।
- कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति के पास एक से अधिक लाइसेंस।
- जांच अधिकारियों के मुताबिक संकेत संगठित गिरोह की ओर।
नामजद आरोपी: फर्जी लाइसेंस रैकेट का खुलासा
- मो. जैद – जन्मतिथि में हेरफेर कर अवैध तरीके से लाइसेंस प्राप्त।
- राष्ट्रीय शूटिंग खिलाड़ी मोहम्मद अरशद – पाँच लाइसेंस; कम उम्र छिपाकर लाइसेंस हासिल किया।
- शोभित चतुर्वेदी (मीडियाकर्मी) – टिहरी (उत्तराखंड) का लाइसेंस छिपाकर आगरा में नया आवेदन, फर्जी शपथपत्र पेश किया।
- संजय कपूर (सेवानिवृत्त शस्त्र लिपिक) – दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ और रिकॉर्ड में हेराफेरी का आरोप।
- राजेश कुमार बघेल – मूल लाइसेंस फाइल और खरीद दस्तावेज़ गायब।
- भूपेंद्र सारस्वत – उम्र सीमा से पहले ही लाइसेंस, पहले लाइसेंस की जानकारी गायब।
- शिव कुमार सारस्वत – जन्मतिथि और गृह जिले का रिकॉर्ड नहीं, खरीदी गई पिस्टल के कागज़ात नहीं।
इन सभी पर धोखाधड़ी, कूट रचना और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज हैं।
जांच लखनऊ एसटीएफ को ट्रांसफर
आगरा एसटीएफ की धीमी जांच पर सवाल उठने के बाद फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण की फाइल अब लखनऊ एसटीएफ को सौंप दी गई है। तीन महीने से अधिक समय तक ठोस प्रगति न होने पर यह कदम उठाया गया।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई की तैयारी
जिलाधिकारी कार्यालय के अनुसार, सभी संदिग्ध लाइसेंस की फाइल-दर-फाइल जांच कराई जा रही है। जो लाइसेंस फर्जी पाए जाएंगे, उन्हें तुरंत निरस्त किया जाएगा और फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी। नोट: उपरोक्त विवरण जांच एवं दर्ज एफआईआर पर आधारित हैं।
नोट: उपरोक्त विवरण जांच एवं दर्ज एफआईआर पर आधारित हैं। न्यायालय में दोष सिद्ध होने तक सभी आरोपी निर्दोष माने जाते हैं। ©DNAkhabarbharti News