नकली दवा माफिया के मंसूबे ध्वस्त, रिश्वत पर भारी ईमान
आगरा में नकली दवा माफिया की एक करोड़ की पेशकश अस्वीकार; रकम जब्त कर आरोपी पर लोक सेवक को घूस देने का केस दर्ज।

आगरा। एक तरफ नोटों से ठसाठस भरा बैग, दूसरी तरफ इंस्पेक्टर का अडिग ईमान…। बैग में रखी रकम कोई मामूली नहीं थी, पूरे एक करोड़ रुपये। दवा माफिया ने नकली दवाओं के काले कारोबार को बचाने के लिए यह लालच दिया था। मगर एसटीएफ इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा ने बिना एक पल गँवाए रिश्वत को ठुकरा दिया। रकम जब्त कर आरोपी पर लोक सेवक को घूस देने का मुकदमा दर्ज करा दिया। इस सख्ती से न सिर्फ दवा माफिया सकते में है बल्कि पुलिस महकमे में भी उनकी ईमानदारी की गूंज सुनाई दे रही है।

“अगर तेरे परिवार का कोई मरीज अस्पताल में भर्ती हो और उसे नकली दवा मिले तो उसकी जान कैसे बचेगी? नकली दवा लोगों की खुशियां छीन लेती है, यह घिनौना अपराध है, जिसमें माफी की कोई जगह नहीं।” — इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा
ग्वालियर निवासी यतेंद्र शर्मा वर्ष 2001 में दरोगा के रूप में पुलिस सेवा में भर्ती हुए और 2018 में इंस्पेक्टर बने। एसटीएफ और एटीएस में रहते हुए उन्होंने कई बार ईमानदारी और बहादुरी की मिसाल पेश की है। आगरा में रहते हुए उन्होंने फर्जी शस्त्र लाइसेंस और अवैध हथियारों से जुड़े बड़े मामले का भी खुलासा किया था।उन्होंने तत्कालीन सेवा निवृत्त असलाह बाबू संजय कपूर, मोहम्मद जैद, अरशद, टीवी पत्रकार शोभित चतुर्वेदी, भूपेंद्र सारस्वत, शिवकुमार और बघेल सहित कई लोगों के खिलाफ नाई की मंडी थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था। इस कदम ने महकमे के भीतर और बाहर दोनों जगह हलचल मचा दी थी। उस दौरान भी उन्हें प्रलोभन और दबाव झेलने पड़े, मगर उन्होंने हर बार दबाव को दरकिनार कर सच को शासन तक पहुंचाया।
एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि नकली दवाओं का कारोबार लाखों लोगों की जिंदगियों से सीधा खिलवाड़ है। इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा की यह कार्रवाई न सिर्फ दवा माफिया के मंसूबों पर पानी फेरने वाली है बल्कि ईमानदारी की मिसाल भी है।